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मुनिया दीदी

हम 5 लोगों का परिवार था. अम्मा, बाबूजी भाई छोटू और मुनिया दीदी. दीदी सबसे बड़ी थीं मेरे बीच मैं 5 साल का अंतर था. दीदी बिल्कुल मां जैसी नहीं तो इससे कम भी नहीं थी. हमेशा, हम दोनों का बहुत ख्याल रखती थीं . इसी साल दीदी ने इन्टरकी परीक्षा पास की थी सिलाई, कढ़ाई बुनाई और मेहंदी लगाने से लेकर नाचने गाने तक में इतनी पारंगत थी की सबका मन मोह लेती थी. घर में एक छोटा सा ठाकुर जी का मंदिर था जिसमें सुबह-शाम पूजा आरती और पूजन का सारा कार्य मुनिया दीदी ही करती थी. मुनिया दीदी बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की थी अम्मा सारा दिन घर संभालने और बाबूजी की देखभाल में लगी रहती थीं. दीदी बहुत मेधावी थी लेकिन पिताजी ने आगे पढ़ाने से साफ मना कर दिया की लड़की ज्यादा पढ़ जाएगी तो ज्यादा पढ़ा-लिखा दामाद लेने के लिए दहेज ज्यादा देना पड़ेगा. मोहल्ले से थोड़ी दूर पर ही हमारी बड़ी बुआ ब्याही थी वह भी कभी-कभार घर में आ जाती.., और बड़े होने के नाते मां को दीदी की जल्दी शादी करने को लेकर रोज लेक्चर देती. रोज की तरह सुबह खाना खाने के बाद धोती कुर्ता टोपी लगाकर हाथ में थैला लेकर जैसे ही बाबूजी दुकान जाने को हुए, अम्मा ने कहा” कल दीदी आई थी कह रही थी मुनिया 18 साल की हो गई है लड़का देख कर जल्दी हाथ पीले कर दो नहीं तो जग हंसाई होगी”. बाबूजी चिढ़ कर बोले हाथ पैर मार तो रहा हूं लड़के आसानी से नहीं मिलते.. जिनके लड़के नौकरी पेशे में है वह हाथ वैसे भी धरने नहीं देता. हजारों रुपए का दहेज मांगते हैं. फिर बोले” परेशान मत हो” मिश्रा जी को मैंने बोला है उन्होंने एक जगह बात चलाई है . मिश्रा जी बाबू जी के बचपन के मित्र थे जिन्हें हम लोग चाचा कहते थे. एक दिन दुकान से घर आकर बाबूजी ने अम्मा से कहा,” इलाहाबाद में एक राधेश्याम पांडे का परिवार रहता है,. अध्यापक हैं उनका एक लड़का और एक लड़की है, लड़के का नाम रमेश है वह बहुत मेधावी है. लड़की का अभी ब्याह नहीं हुआ है. वह इच्छुक हैं हम लोगों के यहां संबंध करने के लिए. लड़का कोई प्राइवेट नौकरी में लगा है लेकिन मेधावी है, प्रशासनिक सेवा आयोगों के कंपटीशन में बैठता रहता है. उसी से बात मिश्रा जी ने चलाई है, . पिताजी शाम को कुछ जल्दी आ गए. अम्मा ने रोज की तरह सवाल किया, “कुछ बना मुनिया के लिए लड़के का”., हां तुम्हारे मुंह में घी शक्कर, “अभी मिश्रा जी बता गए हैं इलाहाबाद वाले पांडे जी ने हां कह दिया है . हम लोग सुबह ही इलाहाबाद लड़का देखने एवं उनके पिता से बात करने जा रहे हैं. सुबह पांच बजे निकलेंगे . रास्ते के लिए दो दो पूड़ी बना देना, चाय हम खरीद कर पी लेंगे. इलाहाबाद कौन सा दूर है. रात को अम्माँ ने घर के बाहर सरकारी नल में खाली बाल्टी रख दी सुबह चार बजे पानी आता है बाल्टी जल्दी भर जाएगी .

तय समय में बाबूजी और चाचा दीदी की फोटो और बायोडाटा लेकर इलाहाबाद के लिए निकल गए. मुट्ठीगंज की एक चौड़ी गली मे चौथे नंबर पर पांडे जी का एक पुश्तैनी मकान था मकान के गेट के बाहर गली में एक पुरानी एंबेसडर गाड़ी भी खड़ी थी. पांडे जी ने बाबूजी और चाचा को चाय पानी पूछने के बाद लड़के से मिलवाया फोटो और बायोडाटा को लेते हुए बोले यह तो औरतों के काम है. आप ऐसा करें हमारे सारे शादी के डिसीजन हमारे बहनोई कृपा शंकरजी ही लेते हैं जो उरई में रहते हैं. अभी हमारी माता जी जीवित हैं और शादी-विवाह के सभी अधिकार अम्मा ने उनको ही दे रखा हैं. आप लोग उनसे मिले वही सब कुछ तय करेंगे

दो दिन बाद बाबूजी और चाचा कृपाशंकर के घर उरई पहुंच गए इधर उधर की बातें ना करके बिना लाग लपेट के कृपा शंकर जी ने साफ कहा, देखिए हमारी शादी 15 साल पहले हुई थी और हमारी शादी में उन्होंने ₹ 51 हजार नकद दिया था. अब तो समय भी बहुत हो गया है कम से कम इतना तो करना ही पड़ेगा, . बाबूजी हाथ जोड़कर बोले “भैया हम मुनीम है इतनी हैसियत कहां इतना देने की. लड़की गुनी है परिवार को खुश रखेगी आप सब की सेवा करेगी. कृपा शंकर नहीं माने. लेकिन चाचा ने किसी तरह समझा बुझा कर ₹इकतीस हज़ार में इस शर्त पर राजी कर लिया कि कैश उन्हें लड़की देखने के बाद और तिलक के एक सप्ताह पहले घर में पहुंचाने होंगे. चाचा ने हामी भर दी दीदी को देखने की तारीख भी तय हो गई. घर में आकर बाबूजी ने सारी बात अम्मा जी बताई. इकतीस हजार नकद की बात सुनकर अम्मा धरती पकड़ कर बैठ गई.शादी में नकद देने के लिए इतना पैसा कहां से आएगा बाबूजी ने समझाया, तुम परेशान मत हो मैं अपने मालिक से बात करूंगा बाकी इंतजाम हम इधर उधर से कर लेंगे

आज घर में सफाई हो रही थी हम दोनों भाई हाफ निकर की जगह कुर्ते पजामे में सजे खड़े थे मिठाई और फल का इंतजाम बाबूजी ने पहले ही कर दिया था और दुकान से छुट्टी ले ली थी . चाचा जी आज सुबह से घर में ही थे . समय हो गया था दो-तीन बार पिताजी बाहर झांक कर देख आए थे. “लगता है देर हो जाएगी” बाबूजी कुछ परेशान से होने लगे चाचा तभी , छोटू भागता हुआ अंदर आया और बताया बाहर मोटर गाड़ी आई है पांडे जी सपरिवार गाड़ी से उतर रहे थे बाबू जी ने सभी का स्वागत किया पांड़े जी अपनी मां का परिचय कराते हुए बोले” यह रमेश की दादी है अपने पोते के लिए बहू देखने आई है” साथ ही अपनी बेटी और पत्नी का भी परिचय कराया औरतें अंदर कमरे में चली गई. हम लोग बाहर के ही कमरे में बैठ गए. दादी और दूसरी महिलाए अंदर . कमरे में मुनिया दीदी को देखने चली गई. कल बुआ जी ने मुनिया दीदी को पूरा रिहर्सल करवाया था कि जब लड़की देखने आएंगे तो तो सब लोगों से कैसे मिलना है. दादी ने मंद मंद मुस्कान के साथ चाय चाय पीते हुए पूरे कमरे को बड़े गौर से देख रही थी. बीच-बीच में दीदी को साड़ी का उल्टा पल्ला लेकर और फिर कभी सीधा पल्ला लेकर, कभी बिन्दी लगवा कर देखा गया पानी लेने के बहाने मुनिया दीदी को एक दो बार अंदर बाहर भी चलाया गया ताकि देखा जा सके लड़की हाथ पैरों से ठीक तो है. दादी की निगाहें पूरे कमरे को देख रही थी. कमरे के कोने में ठाकुर जी का छोटा सा मंदिर देखकर दादी जी के चेहरे में चमक आ गयी. घर करीने से सजा हुआ था. अचानक दादी की आवाज आई लड़कियों बस अब बहुत हो गया अब मैं बात करूंगी, “सुनो बेटा तुम इधर मेरे पास में आओ.” दीदी अपनी कुर्सी से उठकर दादी के पैर छूने के बाद खड़ी हो गई. दादी ने बड़े प्यार से कहा” अरे नहीं बेटा मेरे पास में बैठो. और बोली” तुम्हारा घर तो बहुत सुंदर करीने से लगा हुआ है और सबसे अच्छा मुझे यह ठाकुर जी का मंदिर लगा कौन पूजा करता है बेटी”. दीदी के बोलने से पहले ही अम्मा ने कहा” हमें तो घर के काम से ही फुर्सत नहीं एकादशी और प्रदोष का व्रत कर लेती हूं और जब समय मिलता है थोड़ी बहुत रामायण बांच लेती हूं. सुबह शाम की आरती पूजा सब कुछ मुनिया ही करती है इसका भगवान पर बहुत श्रद्धा है यह इसका नियम है दादी ने आश्चर्य मिश्रित भाव से दीदी की तरफ देखा . दीदी के सर में हाथ फेरते हुए गालों में हाथ लगाकर दीदी को प्यार किया” और बोली बताओ कैसे पूजा करती हो दीदी ने दुर्गा सप्तशती के श्लोक रामायण की चौपाइयां आरती इत्यादि संक्षिप्त में सुना दिया. दादी मंत्र मुग्ध होकर सब सुनती रही.” दादी हमारी दीदी तो भजन भी गा लेती है”. अचानक छोटू ने बीच में बोल दिया बुआ ने डांटने की मुद्रा में छोटू की और देखा. उसके पहले ही दादी बोली अरे वाह, तो हमें भी भजन सुनाना पड़ेगा. मुनिया दीदी ने सीता माता की जनकपुरी से विदाई का मार्मिक दृश्य अपने भजन में इस तरह सुनाना चालू किया कि चारों तरफ शांति छा गई. दीदी गाना सुनाती रही और दादी आंख बंद कर सुनती रहीं. भजन खत्म होते-होते किसी का ध्यान दरवाजे की तरफ नहीं गया. कि कब पांडे जी, कृपा शंकर , बाबूजी और अन्य सभी लोग मुनिया का भजन सुनने के लिए दरवाजे में आकर खड़े हो गए थे थोड़ी देर तक बिल्कुल शांति रही. जब दादी ने आंख खोला तो उनकी आंखें नम थी कुछ बोली नहीं अपने साड़ी के पल्लू से नम आंखों को पोछा और अपने बटुए को खोल कर एक चांदी का सिक्का निकाल कर मुनिया दीदी के हाथ में देते हुए बोली “रमेश बहुत भाग्यशाली है जिसे तुम्हारी जैसी जीवन कंगनी मिलेगी. चलो चलते हैं जैसी प्रभु की इच्छा. इलाहाबाद पहुंचते-पहुंचते देर हो जाएगी कहते हुए दादी उठ खड़ी हुई.उनके साथ साथ सभी लोग बाहर आ गए. गाड़ी में बैठने से पूर्व पांडे जी बोले जैसा होगा हम बता देंगे.

नकद ₹31000 दहेज के कृपा शंकर जी की शर्त के मुताबिक तिलक से पूर्व पांडे जी के यहां पहुंचा दिए गए थे अभी तिलक में 15 दिन बाकी थे लेकिन अभी तक वहां से तिलक और शादी की डेट और अन्य कोई जानकारी नहीं मिल रही थी. बाबूजी को चिंता होने लगी. आज 15 दिन हो गए. उन्होंने चाचा जी से भी इसका जिक्र किया चाचा जी ने कहा मैं पता करता हूं.एक दिन दुकान से आकर पिताजी खाना खा कर आराम कर रहे थे अम्मा हाथ पंखा चला रही थी, अचानक चाचा जी का आना हुआ, लेकिन आज वह पिताजी से चिर परिचित अंदाज में नहीं मिले और कुछ देर खामोश रहने के बाद बोले, भाभी सब गड़बड़ हो गई मुनिया दीदी की फोटो बायोडाटा और ₹31000 पिताजी की ओर बढ़ाते हुए बोले पांडे जी बोल रहे हैं लड़के ने शादी करने से मना कर दिया कि वह 2 साल शादी नहीं करेगा. पिताजी चाचा का मुंह देखने लगे अम्मा जमीन मैं बैठकर रोने लगी. चाचा जी ने धीरज दिया अभी आपने किसी को कुछ बताया तो नहीं, कोई बात नहीं. दहेज के पैसे हमारे पास हैं ही. हमने दो-चार लोगों को बोल रखा है जैसे ही बात बनेगी हम कहीं और शादी तय कर देंगे. “मुनिया को कुछ मत बताना उसका दिल दुखेगा” . चाचा जी ने बाबूजी को दिलासा देते हुए कहा.

देखते ही देखते एक सप्ताह और बीत गया. आज बाबू जी दुकान से जल्दी आ गए थे शाम को चाचा जी घर में आकर कोई रिश्ते की बात बताने वाले थे. बाबूजी घर में आकर कुर्ता खूंटी में टांग कर चाय पीने बैठ गए तभी चाचा जी भी आ गए और नए रिश्ते के विषय में चर्चा होने लगी मैं बाहर अपने कुछ मित्रों के साथ गपशप कर रहा था. शाम के बाद रात्रि की शुरुआत हो गई थी मुनिया दीदी की घंटी की आवाज आ रही थी, यानी कि शाम की आरती दीदी कर रही थी. तभी मुझे आश्चर्य की सीमा न रही मैंने देखा इलाहाबाद वाली एंबेस्डर गाड़ी घर के आगे आकर रुक गई थी और उसमें से पांडे जी कृपाशंकर के साथ में उतर रहे थे मैं देखते ही पहचान गया और उनके बगैर अचानक आने की सूचना देने के लिए मैं अंदर भागा. बाबूजी चाचा और अम्मा सभी लोग आश्चर्य मिश्रित भाव से मुझे देखते हुए तुरंत गेट की तरफ चलने को हुए लेकिन तब तक वह दोनों लोग गेट के अंदर आ चुके थे. पिताजी और चाचा जी उन दोनों को लेकर अंदर आ गए. अम्मा जी उनके लिए जलपान की व्यवस्था करने अंदर जाने लगी तो पांडे जी ने उनको रोका “भाभी जी आप भी कमरे में रहिए. लगभग दो-तीन मिनट तक चाचा और बाबूजी पांडे जी और कृपाशंकर का मुंह देखते रहे. पांडे जी ने बहुत संयमित एवं विनम्र शब्दों के साथ हाथ जोड़ते हुए बाबूजी से कहा ” मुनीमजी हम लोगों की वजह से आप को जो भी असुविधा हुई है उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं हमारी वजह से आपको और आपके परिवार को जो मानसिक स्थिति से गुजरना पड़ा उसके लिए मैं अपने परिवार की ओर से आपसे हाथ जोड़कर क्षमा मांगता हूं” लेकिन पांडे जी के बोलने के साथ ही कृपाशंकर बोले” आप रहने दे दीजिए इसमें आपका कोई दोष नहीं मैं उसका जिम्मेदार हूं इसलिए क्षमा मांगने का अधिकार मेरा ही है. बाबूजी और चाचा जी अभी भी कोई माजरा समझ नहीं पाए थे. कृपा शंकर जी ने बोलना चालू किया मुनीमजी यह रमेश का भाग्य है या आपकी बेटी का प्रारब्ध जो हमारे परिवार के साथ पहले से ही जुड़ा हुआ था यह तो ईश्वर ही जाने लेकिन हम आपकी बेटी को देखकर जिस दिन गए उसके दूसरे दिन ही रमेश का आई ए एस का रिजल्ट आ गया था और उसका चुनाव हो गया था. इसकी सूचना हमारे परिवार में फैलते ही बहुत ही संभ्रांत और पैसे वाले घरानों के रिश्ते अचानक आने चालू हो गए थे. हम लोगों ने बगैर दादी से पूछे आप को रिश्ते के लिए मना कर दिया था लेकिन आज दादी द्वारा तिलक की तैयारियों के बारे में पूछे जाने पर जब उन्हें वास्तविकता मालूम पड़ी तो उन्होंने हमें बहुत ही शर्मिंदा किया साथ ही उन्होंने अन्न जल का त्याग भी कर दिया और शपथ ली कि जब तक हम दोनों आपसे क्षमा मांग के और सहमति लेकर नहीं आ जाते तब तक वो अन्न जल ग्रहण नहीं करेगी इसलिए अब सब कुछ आपके हाथ में हैं. इतना कहकर कृपाशंकर और पांडे जी हाथ जोड़कर बैठ गए. बाबू जी ने कहा आप कैसी बात करते हैं आप लड़के वाले हैं और मेरी बेटी आपके घर की लक्ष्मी मैं बीच में आने वाला कौन होता हूं आप ऐसी बातें करके हमें शर्मिंदा ना करें और दादी को बोलना ये उनका बड़प्पन है और मुनिया उन्हीं की अमानत है. चाचा जी ने अम्मा को धीरे से कुछ कहा अम्मा जी अंदर जाकर मुनिया दीदी की फोटो बायोडाटा और रुपए का पैकेट लेकर वापस आ गई बाबू जी ने पैसे का पैकेट और बायोडाटा उनको देते हुए कहा मेरे मन में कोई मैल नहीं है मेरी ओर से मेरी हैसियत के अनुरूप जो हमने आपसे वचन लिया था वह आप को समर्पित है. “मुनीम जी आप हमें अब भी शर्मिंदा कर रहे हैं हमें अब यह कुछ भी नहीं चाहिए हम तो बस अपनी माँ की खुशी चाहते हैं और जो दादी का आदेश है वही आपको सुनाने आए हैं आप 1 मिनट के लिए मुनिया बेटी को बुला दीजिए”. तब तक मुनिया दीदी आरती करने के बाद आरती और प्रसाद देने कमरे में आ चुकी थी लेकिन अचानक सब को देख कर वह घबरा गई. पांडे जी ने आरती लेते हुए कहा देखो प्रभु की माया हमारे पास बिना बुलाए भेज दिया. अंदर आरती रख कर बेटी मेरे पास 2 मिनट के लिए आओ” मुनिया दीदी वापस आकर अम्मा जी के बगल में बैठ गई. पांडे जी अपने साथ लाए बैग से सामान निकाल कर मुनिया दीदी को देते हुए बोले बेटी यह दादी ने तुम्हारे लिए भेजा है. हां अब तुम हम दोनों से आशीर्वाद लेकर जाओ. पांडे जी और पांडे जी और कृपाशंकर ने उठकर मुनिया दीदी के सर में हाथ रखा. दीदी के जाने के बाद पांडे जी बोले मुनीमजी दादी ने कहा है शादी में विदा होने के बाद बिटिया यह जेवर और साड़ी पहन के हमारे घर आएगी. यह जेवर और साड़ी दादी ने विशेष तौर पर मुनिया को दिया है रुपए का पैकेट बाबूजी को वापस देते हुए पांडे जी कहा आपने हमें बहुत बड़े धर्म संकट से बचा लिया. मुनीमजी इतना कुछ होने के बाद भी आपने यह रिश्ता स्वीकार करके दादी को नया जीवन दिया इन पैसों का मूल्य हमारे लिए कुछ भी नहीं है आप केवल हमारी बारात का स्वागत खूब अच्छे तरीके से कर देना यह सोच कर कि आपका दमाद अब जिला मजिस्ट्रेट होने वाला है इसके अलावा जो भी हमारे लायक सेवा हो बताइएगा. तिलक तय समय पर ही होगा और शादी की डेट भी उन्होंने हाथ साथ ही बता दी. उन्होंने कहा मुनीम जी शादी के सप्ताह बाद रमेश को ट्रेनिंग के लिए जाना है इसलिए हम अब शादी तय समय में ही करेंगे औपचारिकता और विदाई के साथ पांडे जी और कृपाशंकर बाबूजी और चाचा को हैरान और परेशान छोड़कर तुरंत इलाहाबाद के लिए वापस हो गए अम्मा बाबूजी को यह सब एक सपने जैसा लग रहा था. आधा घंटे तक तो हम सभी लोग कुछ बात करने की स्थिति में नहीं लग रहे थे फिर धीरे-धीरे सामान्य हुए. ईश्वर की कृपा, ठाकुर जी का चमत्कार या मुनिया का भाग्य कुछ भी हो हमें पता नहीं लेकिन इतना जरूर विश्वास हो गया यदि आपको ईश्वर में विश्वास है तो सब कुछ अच्छा होता है.

शादी धूमधाम से संपन्न हो गई और कोई आर्थिक परेशानी भी पिताजी को नहीं उठानी पड़ी और दीदी ससुराल विदा होकर चली गई. लगभग 1 सप्ताह ससुराल में गुजारने के बाद मुनिया दीदी घर वापस लौट कर आ गयी. ससुराल में दीदी दादी के आंखों का तारा थी और मुनिया दीदी भी दादी के साथ में उनकी देखभाल के लिए साए की तरह रहती थी. जीजा भी अब ट्रेनिंग के लिए चले गए थे.

देखते देखते लगभग 3 माह बीत गए दादी ने बोला था जीजा जी की पोस्टिंग आने के बाद मुनिया वही रहेगी इसलिए फिर मैंके में रहने का टाइम नहीं मिलेगा इसलिए दीदी को घर भेज दिया था ताकि वह हम लोगों के साथ रह सके.

आज रमेश जीजा को पोस्टिंग में जाने से पूर्व दीदी को लेने के लिए आना था जब जीजा जी गाड़ी से उतर रहे थे तो पूरे मोहल्ले की निगाहें हमारे घर थी और हो भी क्यों ना क्योंकि हमारा जीजा डिप्टी कलेक्टर था. जीजा जी ने बताया की 2 दिन बाद नवरात्रि है इसलिए दादी ने मुनिया को बुलाया है क्योंकि इस बार पूजन में हम और मुनिया हवन और पूजा में बैठेंगे

समय बीते देर नहीं लगती समय चक्र बड़ी तेजी से निकल गया. बाबूजी अम्मा के ना रहने पर मेरी और छोटू की उच्च शिक्षा मे जीजाजी ने हमें पूरा सहयोग दिया और आज हम दोनों उन्हीं के कारण ही एक मल्टीनेशनल कंपनी में बहुत ही अच्छी पोजीशन में है. आज दीदी का फोन आया है कि वह आ रही है. जीजाजी सर्किट हाउस में ठहरे गे और दीदी हमारे पास बच्चों के साथ नोएडा में रहेगी. कल छोटू भी आ जाएगा 2 दिन हम दीदी के साथ ही मस्ती करेंगे जब भी दीदी का फोन आता है पूरा अतीत एक रोचक फिल्म की तरह मेरी आंखों के सामने घूम जाता है

लेखक पीएम तिवारी “प्रेम ब्रिज”