prembrij.

मनुहार—-

मनुहार–
तुम मेरे सूने जीवन में
अपने जीवन का रंग भर दो,

मनमीत बना लो तुम मुझको इन सांसों में सरगम भर दो।
तुम मेरे सूने जीवन में——-

तेरी सांसों की खुशबू से चंदन भी फीका लगता है,
छलके मदमस्त नयन तेरे मधुशाला सूना लगता है ।
तेरे यौवन की ज्वाला से मधुमास दहकने लगता है।

तुम अपना आंचल ढलका कर,
थोड़ा सा ऋतु परिवर्तन करदो ।
तुम मेरे सूने जीवन में ——


कंचन सी तेरी काया को
पुष्पों की छांव में रखूंगा,
तेरा अभिलाषी बनने में,
कुछ कोर कसर ना रखूंगा।

तुम मेरे प्रणय निवेदन को,

पलकों का मौन समर्थन दो,

अपनी पायल की छम छम से इस जीवन को लयमय मैं कर दो ।
तुम मेरे सूने जीवन को ——

गर मेंरा बस चलता सजनी पलकों में तुझे बिठा लेता, अंबर के तारे चुन चुन कर तेरी मांग सितारों से भरता ।
जुल्फों के बादल लहरा कर मौसम को सतरंगी कर दो,

सावन बरसेगा छम छम कर
तुम थोड़ा बलखा कर चल दो।
तुम मेरे सूने जीवन में—–